इक्कीसवीं सदी में इक्कीसवीं सदी में
वसुधैव-कुटुंबकम् वसुधैव-कुटुंबकम्
काम आयेंगे जल की तरह वो भी ,हिचकी बंध जाये नहीं रोना तो भी , जल के अम्बार यूँ तो समेटे है नदी.... काम आयेंगे जल की तरह वो भी ,हिचकी बंध जाये नहीं रोना तो भी , जल के अम्बार यूँ तो...
बेटियाँ हैं तो ही सब है ये क्यों नहीं चाहते हो। बेटियाँ हैं तो ही सब है ये क्यों नहीं चाहते हो।
लड़के से लड़की के परिधान हैं... लड़के से लड़की के परिधान हैं...